Sunday, April 5, 2020

वक्त ....


वक्त ने यह करवट ली भी कैसी ,
मैं खुद से खुद की पहचान छुपाने लगी,
जीन एहसासों को लब्ज़ों में पिरोया करती थी कभी,
अब उन्ही एहसाओं को दिल में दबाने लगी,
कभी परछाई को पकड़ती मैं,
कभी खुद से बिखरती, सवरती  मैं ,
इस रंग बदलती दुनिया में,
बेरंग होना अच्छा है,
उठ उठ के अकेली रातों में 
खुद को समझने लगी 
जिसकी बातों से मुस्कुराना लाज्मी था मेरा 
अब उसी की बातों के अश्को को पलकों में दबाने लगी 
वक्त ने यह करवट ली भी कैसी ,
मैं खुद से खुद की पहचान छुपाने लगी ,
अमृता भाटी 
5/4/2020

Tuesday, March 9, 2010



कान्हा में तेरी दीवानी
तुने प्रीत न मेरी जानी
आंसू जो बहाए, प्रीत में तेरी
जोगन नाम दिया मुझे बेरी
फिर भी प्यार में तुझसे निभाऊ
आसुवन बहा कर तुझ को रिझाऊ
न जाने कोई मेरी कहानी
कान्हा में तेरी दीवानी ..............................
जो तू तोड़े प्रीत मोरी
दुनीया छोडू प्रीत में तेरी
कहा गया तू साजन मोरे
मैने नाते सारे तोड़े
तुझको छोड़ अब कहा में जाऊ
कान्हा तुझ बिन में मर जाऊ........